नईटिहरी सांईचौक से कालेज रोड़ पर लगभग १ किलोमीटर चलने के बाद ९सी मुहल्ला मौलधार में सड़क के बायीं तरफ एक मन्दिर का मुख्यद्वार दिखाई देता है। मुख्यद्वार से प्रवेश कर कुछ सीढ़ियां उतरने के बाद हनुमान मन्दिर दिखाई देता हैं। पुरानी टिहरी में अन्य मन्दिरों की भांति हनुमान मन्दिर भी राजा के अधीनस्थ था। टिहरी बांध परियोजना के कारण जब नगर का विस्थापन होने लगा तो मन्दिरों को भी विस्थापित किया जाने लगा। इस क्रम में नगर के सभी मन्दिरों की नई टिहरी नगर में स्थापना की जाने लगी। मन्दिर की स्थापना वर्ष २००१ में की गई थी, इस कारण नगर की तरह ही यह हनुमान मन्दिर भी ज्यादा पुराना नहीं है। वर्ष २००१ में कदाचित जब मन्दिर को विस्थापित किया गया होगा उस समय आस-पास घर नहीं रहे होंगे लेकिन अब मन्दिर के चारों तरफ बने मकानों के कारण मन्दिर की भव्यता सड़क से नहीं दिखाई देती है। क्योंकि पुरानी टिहरी में यह मन्दिर राजा के अधीनस्थ था अत: निश्चय ही इस मन्दिर का कोई प्राचीन इतिहास रहा होगा लेकिन विस्थापन तथा जानकारियों के सहीं संरक्षण के आभाव में मन्दिर के पुजारी श्री सच्चिदानन्द पाण्डेय मन्दिर के किसी प्राचीन इतिहास को हमें बताने में असमर्थ रहे। मन्दिर में दो कक्ष आमने सामने बने हैं जिनमें एक बड़े कक्ष में प्रभु श्री राम, माता सीता, लक्ष्मण की वरद मुद्रा में तथा हनुमान की भक्त मुद्रा में भव्य प्रतिमायें स्थापित हैं। जबकि सामने वाले छोटे कक्ष में पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है। दोनों कक्षों के बीच में एक विशाल मण्डप है।
पुजारी श्री पाण्डेय जी के अनुसार मन्दिर की व्यवस्था प्रबन्धन हेतु किसी समिति का गठन नहीं किया गया है। वे स्वयं मन्दिर के चढ़ावे से ही व्यवस्था-प्रबन्धन देखते हैं। राजा की तरफ से मन्दिर के पुजारी का १५/- (पन्द्रह रुपये) मासिक वेतन, और मन्दिर के पूजा-पाठ तथा अन्य व्यवस्था-प्रबन्धन हेतु १००००/- (दस हजार रुपये) वार्षिक बन्धान निर्धारित था लेकिन वर्ष १९९८ से अब तक वेतन और बन्धान राशि दोनों में से कुछ भी नहीं दिया गया। मन्दिर में प्रत्येक मंगलवार हनुमान भक्तों का तांता लगा रहता है। इसके अलावा रामनवमी के दिन भी स्थानीय निवासी प्रभु श्रीराम के दर्शन करने और प्रसाद चढ़ाने आते हैं।
नई टिहरी नगर के मध्य में स्थित नवदुर्गा मन्दिर नगर के सभी मन्दिरों मे सबसे भव्य और विशाल है। पुरानी टिहरी में अन्य मन्दिरों की भांति श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर भी राजा के अधीनस्थ था। टिहरी बांध परियोजना के कारण जब नगर का ...
नई टिहरी-चम्बा मोटर मार्ग पर नई टिहरी से लगभग ३ किलोमीटर बाद सुरसिहं धार पर मुख्य मार्ग से एक संकरी सी सड़क नीचे ढाल की तरफ जाती है इसी सड़क पर लगभग डेढ़ किलोमीटर चलने के बाद ग्राम कण्डा (सारजूला पट्टी, विकासखण्ड चम्बा) में स...
सत्येश्वर महादेव का मन्दिर सेवन-डी, बौराड़ी नई टिहरी की ढाल पर स्थित है, मन्दिर परिसर बहुत ही अच्छे और तीन तरफ से खुले एक स्थान पर है जो संभवतया नई टिहरी के सभी मुख्य स्थानों से साफ दृष्टिगोचर होता है। मन्दिर के पुजारी महन्...
नई टिहरी नगर के शिखर पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय समीप स्थित है पंचदेव मन्दिर। नगर की तरह ही पंचदेव मन्दिर भी ज्यादा पुराना नहीं है। मन्दिर की स्थापना के विषय में मन्दिर के पुजारी श्री मुनेन्द्र दत्त उनियाल जी के अनुसार टिहरी...
सरस्वती शिशु मन्दिर बौराड़ी नई टिहरी के पीछे स्थित है लक्ष्मी-नारायण मन्दिर। पुरानी टिहरी नगर में अन्य मन्दिरों की भांति लक्ष्मी-नारायण मन्दिर भी राजा के अधीनस्थ था। टिहरी बांध परियोजना के कारण जब नगर का विस्थापन होने...
कुंजापुरी शक्तिपीठ ५२ शक्तिपीठों में से एक है। मन्दिर तक पहुंचने के लिये तीर्थनगरी ऋषिकेश से टिहरी राजमार्ग पर पहले लगभग २३ किलोमीटर की दूरी पर स्थित हिन्डोलाखाल नामक एक छोटे से पहाड़ी बाजार तक का सफर तय करना पड़ता है, जहां ...